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Monday, December 9, 2019

GDP for a Common Man

हम रोज़ अखबारों में पढ़ते है कि भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पात, Gross Domestic Product, GDP) इतनी है या इतनी हो गयी है या घट गयी है या बढ़ गयी है, वगैरहा- वगैरहा, लेकिन हम समझ नहीं पाते है कि जीडीपी होती क्या है और ये घटे या बढ़े, इससे हमारे ऊप्पर क्या असर पड़ता है। हम यहां यही चर्चा करेंगे की एक आम आदमी के लिये जीडीपी का क्या मतलब होता है और इसके घटने बढ़ने से हमारी ज़ेब पर कितना असर पड़ता है।


अर्थशास्त्र की भाषा में जीडीपी एक विशिष्ट अवधि (निश्चित समयावधि) में देश की सीमाओं के भीतर उत्पादित सभी तैयार वस्तुओं और सेवाओं का कुल मौद्रिक या बाजार मूल्य (Monetary or Market Value) है  और इसके माध्यम से ही हम किसी भी अर्थव्यवस्था का आकार और वृद्धि दर (Growth Rate) बता सकते है। अगर हम इसे आसान भाषा में समझे तो ऐसा कह सकते है कि जीडीपी से हम किसी भी अर्थव्यवस्था की सेहत के बारे में पता लगा सकते है। 

अब हम असली मुद्दे पे आते है कि इसका आम आदमी पे क्या असर होता है, जीडीपी का संबंद सीधा प्रति व्यक्ति आय से जुड़ा हुआ है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में मासिक प्रति व्यक्ति आय 10,534 रूपए है और मान लीजिये इस वित्तीय वर्ष में जीडीपी ग्रोथ रेट 5% है तो अगले वित्तीय वर्ष (2019-20) में प्रति व्यक्ति आय 526 रूपए बढ़ जायेगी लेकिन मान लीजिये अगर जीडीपी ग्रोथ रेट 4% ही है तो अगले वित्तीय वर्ष में प्रति व्यक्ति आय 421 रूपए ही बढ़ेगी, मतलब की अगर ग्रोथ रेट 1% कम होते ही मासिक प्रति व्यक्ति आय 105 रूपए कम हो जाती है और अगर सालाना देखे तो एक व्यक्ति को 1260 रूपए का नुकसान होता है। 



                                  

इस प्रकार हम कह सकते है कि जीडीपी का संबंद प्रति व्यक्ति आय से जुड़ा हुआ है, जीडीपी ग्रोथ रेट कम होते ही प्रति व्यक्ति आय भी कम हो जाती है जिसका असर सबसे ज्यादा गरीब वर्ग को होता है और अभी वर्तमान में भारत में जीडीपी ग्रोथ रेट कम होती ही जा रही है।