Thursday, November 21, 2019

JNU Fee Hike

"Collapsing any nation does not require the use of atomic bombs or the use of long-range missiles. It only requires lowering the quality of education and allowing cheating in the examinations by the students." 
-A professor at a University in South Africa 

दिल्ली का जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है और इसकी वजह है कि JNU में अचानक से फीस में वृद्धि कर दी गई है जिसका वहाँ के विद्यार्थी विरोध कर रहे है, उनकी मांग है कि जब तक इस फीस वृद्धि को वापस नहीं लिया जायेगा वो इसका विरोध करते रहेंगे। वहीं दूसरी तरफ़ JNU प्रशासन कह रहा है कि JNU में 12 करोड़ रूपए की फंड की कमी चल रही है और यहाँ कई साल से फ़ीस नहीं बढ़ाई है, इसलिये वो फ़ीस बड़ा रहे है। इस विवाद से कई बातें उभरकर सामने आयी है जिसपे एक-एक कर के बात करेंगे।

JNU प्रशासन ने कुछ दिन पहले ही नया हॉस्टल मैन्युअल बनाया है जिसमे कई नियमो में बदलाव किये गये है जो इस प्रकार है। वर्तमान में JNU में सिंगल बेड़ कमरे का और डबल बेड़ कमरे का किराया क्रमश 10 रूपए और 20 रूपए प्रति महीना है जो अब बढ़ाकर क्रमश 300 रूपए और 600 रूपए प्रति महीना कर दिया गया है और अब इसके साथ ही हॉस्टल में रहने वाले विद्यार्थियों को 1700 रूपए प्रति महीना का सर्विस चार्ज (Service Charge) भी देना होगा जो पहले नहीं देना होता था, इसकी वजह से हॉस्टल फ़ीस अब 2300 रूपए (सिंगल बेड़ कमरे) और 2600 रूपए (डबल बेड़ कमरे) प्रति महीना हो जाती है। पहले पानी और बिजली का बिल विद्यार्थियो को नहीं देना होता था लेकिन अब ये भी देना होगा, इस प्रकार अगर हम सालाना फ़ीस देखे तो वो 27,600-32,000 से बढ़कर 55,000-61,000 रूपए हो जायेगी और इस से JNU भारत का सबसे महँगा केंद्रीय विश्वविद्यालय बन जायेगा। इसके अलावा ओर भी कई बदलाव किये है जैसे मैस में खाना खाने जाने के लिये ड्रेस कोड और लाइब्रेरी के रीडिंग रूम अब 24*7 नहीं खुलेंगे। 


कई लोग इस फीस वृद्धि को ये बोल कर सही ठहरा रहे है कि JNU में विद्यार्थी पढ़ाई-लिखाई नहीं करते है बस धरना-हड़ताल करने में ही लगे रहते है। कुछ लोगो का तो ये भी मानना है कि वहाँ पढ़ाई-लिखाई के अलावा सब कुछ होता है। लेकिन लोगो के इस तर्क को बड़ी आसानी से खारिज़ किया जा सकता है क्यूंकि अभी हाल ही में JNU के पूर्व विद्यार्थी (अभिजीत बनर्जी) को अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार मिला है और अभी की भारत सरकार में वित्त मंत्री (निर्मला सीतारमन) और विदेश मंत्री (एस जयशंकर) दोनों ही JNU से ही पढ़े हुये है जो की जाहिर है कि पढ़ाई-लिखाई के बलबूते यहाँ तक पहुंचे होंगे। JNU को राष्ट्रपति के द्वारा 'सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय' पुरस्कार से भी नवाज़ा जा चुका है और JNU भारत का एकमात्र विश्वविद्यालय है जो कि विश्व की टॉप-400 विश्वविद्यालयो (कला और मानविकी, Arts & Humanities) में चुना गया है। 

इसके बाद ये भी कहा जा रहा है कि JNU के विद्यार्थी टैक्स देने वालो का पैसा बर्बाद कर रहे है क्यूंकि JNU को पैसा सरकार देती है और सरकार को पैसा हम लोग ही देते है। टैक्स देने वालो से ये मै ये पूछना चाहुँगा कि सरकार आपका पैसा शिक्षा में लगा रही है उससे आपको दिक्कत है लेकिन सरकार आपके पैसे से 3000 करोड़ रूपए की मूर्ति बनाती या फ़िर सिर्फ़ प्रचार में ही 4300 करोड़ रूपए ख़र्च करती है उससे आपको कोई दिक्कत नहीं है। आपका या आपके बच्चो का पढ़ना ज्यादा जरूरी है या सरकार का प्रचार में ही पैसे ख़र्च करते रहना या मुर्तिया बनाना ज्यादा जरुरी है। JNU को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (National Assessment & Accreditation Council, NAAC) ने सर्वश्रेष्ठ ग्रेड 'A++' दी हुई है, मतलब भारत सरकार खुद मानती है कि JNU भारत के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयो में से एक है क्यूंकि ये ग्रेड भारत सरकार ही देती है। 


ये भी तर्क दिया जा रहा है कि JNU में सिर्फ़ 40% विद्यार्थी ही है जो बढ़ी हुई फीस नहीं भर सकते बाकी 60% विद्यार्थी तो भर ही सकते है तो सभी क्यों विरोध कर रहे है। इसका सीधा जवाब ये है कि हमारी सरकार लोकसभा के प्रत्येक सदस्य (सांसद) पे 2.7 लाख रूपए प्रति महीना ख़र्च करती है लेकिन फ़िर भी इनको सब्सिडी वाला खाना और सब्सिडी वाला बंगला दिया जाता है जबकि इनमे तो 88% सांसद करोड़पति है। हम इसका बिलकुल भी विरोध नहीं करते है, लेकिन अगर विद्यार्थी सब्सिडी के पैसो से पढ़ रहा है तो हम उसका विरोध करने लग जाते है। अब हमे ही ये सोचना चाहिये की हमारे पैसे से हम किसे लाभान्वित करना चाहते है -किसी विद्यार्थी को या किसी करोड़पति सांसद को।

अब बात ये आती है कि क्या सरकार के पास वाकई में शिक्षा पर ख़र्च करने को पैसा नहीं है तो इसका जवाब है कि सरकार के पास पैसा है लेकिन वो ख़र्च ही नहीं करना चाहती। भारत सरकार 2007 वित्त वर्ष से ही माध्यमिक और उच्च शिक्षा के नाम पर कर वसूल रही है और ये 94,000 करोड़ रूपए है, जिसे अभी तक शिक्षा कोष में स्थानांतरित या शामिल नहीं किया गया है। इसका मतलब तो यही हुआ ना कि सरकार शिक्षा के लिए पैसे ही ख़र्च नहीं करना चाहती जबकि सरकार के पास ख़र्च करने के लिये पर्याप्त पैसा है।

स्रोत:

16 comments:

  1. मैं विद्यार्थियो को सपोर्ट करता हूँ, JNU प्रशासन को अपना फैशला वापस बदल लेना चाहिए ।

    My vote with JNU student..

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    1. Yup because students are the real king for the wellbeing of a nation.

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  2. You summarised it very vell buddy 😘 just a small suggestions- you could have add percentage of GDP spent by our country and other countries on education ...

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    1. Actually I thought about it but I restricted myself to entering in this zone because if I write about it then I also have to write about the sectors where our govt spending more/less than education sector. I will mention it in my future posts but if you want to know about this comparison then I provide you the link in the below.
      Public expenditure on education in India was just 2.7% of the GDP in 2017-18 which is less than the countries like Bhutan, Zimbabwe, Kyrgyzstan, Kenya, Mongolia, Korea, etc.
      https://timesofindia.indiatimes.com/india/panel-hike-edu-spend-to-20-of-public-expenditure-in-10-years/articleshow/69950757.cms

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  3. Isse hmme ye siksha milti hai ke Pdae likhae mat kro or Vidhayak ka chunao laddo...
    Thanks Modi Ji.

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    1. Do you remember the dialogue of 'Rang De Basanti' movie?
      Dialogue is "hm pd likh ke desh ko chlayenge, army join krenge, IAS bnenge, politician bnenge, hm bdlenge desh ko"
      I didn't remember it exactly but it will work here.

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  4. "सरकारी निकायों को बर्बाद कर के निजीकरण के नाम पर निकायों की बिक्री और उसी तर्ज पर एडुकेशन के प्राइवेटाइजेशन जिओ यूनिवर्सिटी को प्रोमोट करने के लिए किया जा रहा है , टेक्स का पैसा हमारा है तो हम तय करेंगे कि हमारा पैसा मूर्ति ,मंदिर ,प्रचार में खर्च होगा या शिक्षा, स्वास्थ्य,रोजगार में । हम जेएनयू के साथ थे और हमेशा रहेंगे ,जेएनयू देश की शान है , जेएनयू की आवाज पूरे भारतवर्ष की आवाज़ है !!
    #StandWithJNU

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    1. आपने इस पोस्ट को मात्र 3 लाइनों में सबसे अच्छे तरीके से व्यक्त किया है। मै इसका उपयोग इस पोस्ट का प्रचार करने में करूंगा। 🙈
      धन्यवाद

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  5. I used to think wrong about jnu before reading this. But there is a change in your thinking after reading this beautiful article.
    I agree with you Very good work my brother.

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    1. Thanks brother
      BTW it's not your fault because most of the media channels & WhatsApp university are spreading the fake news about JNU. They are trying their best to defame such a prestigious university.

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