“Most leaders would agree that they’d be better off having an average strategy with superb execution than a superb strategy with poor execution.”
- Stephen Covey
5 अगस्त 2019 को भारत सरकार ने आर्टिकल 370 को निष्क्रिय कर दिया था और तब से ही यही विवाद चल रहा है कि आर्टिकल 370 भारत के लिये कश्मीर को बांधे रखने के लिये पुल था या अवरोधक। एक पक्ष बोल रहा है कि 370 हटा के हमने कश्मीर को भारत में मिला लिया और दूसरा पक्ष कहता है कि 370 हटा के हमने भारत का धड़ भारत से अलग कर दिया। मैं दोनों पक्षो से कहना चाहूंगा कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और ये बात 370 के जरिये ही कही गई है क्यूंकि जम्मू- कश्मीर के सविंधान में ही लिखा गया था कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग हैं और इसीलिये शायद 370 को हटाया नही गया है बल्कि निष्क्रिय कर दिया गया है और वो भी 370 का ही प्रयोग करके।
भारतीय सविंधान के सिर्फ़ 2 ही आर्टिकल जम्मू कश्मीर मे लागू थे, आर्टिकल 1 और आर्टिकल 370। आर्टिकल 1 के तहत भारत राज्यों का यूनियन (संघ) है, इसके अंतर्गत ही जम्मू कश्मीर राज्य भारत का अहम हिस्सा बना। आर्टिकल 370 के तहत भारतीय संसद को जम्मू कश्मीर राज्य में कानून लागू करने के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार की मंजूरी की आवश्यकता होती थी - रक्षा, विदेशी मामलों, वित्त और संचार के मामलों को छोड़कर। इसका मतलब है कि अगर संसद को कश्मीर मे कोई कानून लागू करना है या भारत के सविंधान का कोई भी आर्टिकल संशोधित करके कश्मीर मे लागू करना होता तो वहाँ की सरकार की मंजूरी जरूरी होती थी। इसी वजह से आर्टिकल 370 एक खास आर्टिकल बन जाता है। लेकिन समय-समय पे आर्टिकल 370 को कमज़ोर करने की कोशिशें की गई है जो कामयाब भी रही है। भारत के सविंधान के 395 अर्टिकलो में से 260 आर्टिकल तो वहाँ पे 370 का ही प्रयोग करके लागू किये गये है। हम आर्टिकल 370 के बारे मे ऐसा भी कह सकते है कि ये भारत के सविंधान को जम्मू कश्मीर के सविंधान से जोड़े रखने का काम करता है। आर्टिकल 370 को लोकतांत्रिक तरीके से लगाया गया था और इसे लोकतांत्रिक तरीके से ही हटाया जाना चाहिये था, हो सकता था कि इसमें थोड़ा समय लगता लेक़िन उससे फिर कोई समस्या नही आती। आर्टिकल 370 को हटाने का लोकतांत्रिक तरीका है कि इसे राष्ट्रपति ऑर्डर के जरिये जम्मू कश्मीर की सरकार की मंजूरी ले के हटाया जा सकता था। लेकिन भारत सरकार ने ऐसा बिल्कुल भी नही किया। उन्होंने राष्ट्रपति ऑर्डर के जरिये जम्मू कश्मीर के गवर्नर की सहमती ली जो कि उचित नही था क्यूंकि गवर्नर तो खुद केंद्र सरकार के अधीन होते हैं।
बहुत से लोगो को लगता है कि कश्मीर ही एक मात्र राज्य है जिसको विशेषाधिकार प्राप्त है लेकिन ऐसा नहीं है, आर्टिकल 371 के तहत 10 अन्य राज्यों को भी विशेषाधिकार प्राप्त है, जो है नागालैंड, महाराष्ट्र, गुजरात, असम, मणिपुर, आंध्र प्रदेश, सिक्किम, मिज़ोरम, अरुणाचल प्रदेश और गोवा। नागालैंड मे भी किसी भी एक्ट लागू करने के लिये हमे वहाँ की विधानसभा की मंजूरी लेनी होती है। अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, हिमाचल प्रदेश मे भी बाहरी व्यक्ति जाकर जमीन नहीं खरीद सकता। कुछ लोग तर्क दे रहे है कि अगर वहाँ जमीन खरीदने की इजाज़त होती तो बड़े-बड़े निवेशक वहाँ निवेश कर पायेंगे, तो उनको मै बताना चाहूँगा कि जहाँ पर नफ़रत का माहौल बना रखा हो वहाँ निवेश करने कौन जायेगा क्यूंकि सबको पहले अपनी जान प्यारी होती है। कश्मीर मे आतंकवादी गतिविधियों में भाग लेने वाले युवाओ की संख्या 2010 में 54 से घट कर 2013 में 16 हो गई थी लेकिन फिर ये संख्या 2018 में बढ़कर 191 हो गई। इन संख्याओ से यह तो तय है कि 2014 के बाद से घाटी में नफरत माहौल बनाया गया जिस से युवाओ का आतंकवाद की तरफ़ रुझान हुआ।
बहुत से लोगो को लगता है कि कश्मीर ही एक मात्र राज्य है जिसको विशेषाधिकार प्राप्त है लेकिन ऐसा नहीं है, आर्टिकल 371 के तहत 10 अन्य राज्यों को भी विशेषाधिकार प्राप्त है, जो है नागालैंड, महाराष्ट्र, गुजरात, असम, मणिपुर, आंध्र प्रदेश, सिक्किम, मिज़ोरम, अरुणाचल प्रदेश और गोवा। नागालैंड मे भी किसी भी एक्ट लागू करने के लिये हमे वहाँ की विधानसभा की मंजूरी लेनी होती है। अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, हिमाचल प्रदेश मे भी बाहरी व्यक्ति जाकर जमीन नहीं खरीद सकता। कुछ लोग तर्क दे रहे है कि अगर वहाँ जमीन खरीदने की इजाज़त होती तो बड़े-बड़े निवेशक वहाँ निवेश कर पायेंगे, तो उनको मै बताना चाहूँगा कि जहाँ पर नफ़रत का माहौल बना रखा हो वहाँ निवेश करने कौन जायेगा क्यूंकि सबको पहले अपनी जान प्यारी होती है। कश्मीर मे आतंकवादी गतिविधियों में भाग लेने वाले युवाओ की संख्या 2010 में 54 से घट कर 2013 में 16 हो गई थी लेकिन फिर ये संख्या 2018 में बढ़कर 191 हो गई। इन संख्याओ से यह तो तय है कि 2014 के बाद से घाटी में नफरत माहौल बनाया गया जिस से युवाओ का आतंकवाद की तरफ़ रुझान हुआ।
जब 370 को हटाया जा रहा था और कश्मीर को 2 केंद्रशासित प्रदेशो में बांटा जा रहा था तब ये तर्क दिया गया कि 370 की वजह से कश्मीर में विकास नहीं हो पा रहा है जो कि पूरी तरह से सही नहीं हैं क्यूंकि भारत के कई ऐसे प्रदेश हैं जो कश्मीर से कम विकसित है। कश्मीर प्रति व्यक्ति राज्य जीडीपी , गरीबी दर और मानव विकास सूचकांक (ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स) में भारत के अन्य प्रदेशो से आगे है तो अब ये सवाल बनता हैं कि क्या भारत सरकार अन्य प्रदेशो को भी केन्द्रशासित प्रदेशो में परिवर्तित करना छायेगी।
जब 26 नवंबर 1949 को हम अपना सविंधान अपना रहे थे तब तक हमने कश्मीर का 1/3 भाग खो दिया था, जिस पे पाकिस्तान ने अपना कब्ज़ा कर लिया था, जिसे पाकिस्तान अधीन कश्मीर (POK) कहा जाता है और इसी वजह से हम हमारे सविंधान मे ये दावा नहीं कर सकते थे कि POK भारत का हिस्सा हैं लेकिन जम्मू- कश्मीर के सविंधान की वजह से हम दावा कर सकते हैं कि POK भारत का हिस्सा हैं क्यूंकि जम्मू- कश्मीर के सविंधान (आर्टिकल 4) में लिखा है कि 15 अगस्त 1947 के दिन जिस क्षेत्र पर वहा के शासक (राजा हरि सिंह) का अधिकार था वो भारत का अभिन्न अंग होगा और इसी वजह से हम POK पर अपना दावा पेश करते हैं लेकिन अब भारत सरकार ने इसे ही हटा दिया हैं।
अगर हमे सविंधान में कोई संसोधन करना होता है तो उसके लिये हमे 2/3 बहुमत चाहिये है दोनों सदनो में लेकिन हम कश्मीर पर आर्टिकल 370 के अंतर्गत सिर्फ़ राष्ट्रपति ऑर्डर के ज़रिये ही संसोधन करवाया जा सकता है और अब तक ऐसे 45 राष्ट्रपति ऑर्डर जारी हो चुके है। पंजाब में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिये सविंधान में 4 बार संसोधन करना पड़ा था लेकिन कश्मीर में राष्ट्रपति शासन सिर्फ़ 370 से ही लगाया जा सकता है। इसीलिये ये कहा जा सकता है कि आर्टिकल 370 कश्मीर के लिये नहीं बल्कि भारत सरकार (दिल्ली) के लिये विशेषधिकार था।
आर्टिकल 370 को धीरे-धीरे काफी हद तक तो पहले ही निष्क्रिय किया जा चूका था लेकिन अब भारत सरकार ने अब इसे पूरी तरह ही निष्किय कर दिया है और वो भी अलोकतांत्रिक ढंग से। इसे लोकतांत्रिक तरीके से भी हटाया जा सकता था, हो सकता था इसमें वक़्त लगता लेकिन कश्मीर को अभी की तरह 2 महीने तक कर्फ्यु में नहीं रखना पड़ता और अगर हम कश्मीर के साथ कश्मीरियों को भी अपनाये तो कश्मीर में भी शांति लायी जा सकती है जो कभी भी बन्दूक की दम पर नहीं लायी जा सकती। अगर आप लोगो को जबरदस्ती उनके परिवार से नहीं मिलने देंगे तो लोग आप पर क्यों विश्वास करेंगे। 2 महीने से भी ज्यादा समय हो गया लेकिन कश्मीर में अभी तक सभी प्रकार की कनेक्टिविटी (मोबाइल फ़ोन, इंटरनेट सेवा) बंद है। वैसे तो भारत सरकार बार-बार कहे जा रही है कि कश्मीर में हालात सामान्य है लेकिन अगर सब कुछ सामान्य है तो फिर ऐसी क्या जरुरत पड़ गई की 2 महीने से ज्यादा समय होने के बाद भी अभी तक वहाँ पाबंदिया लगी हुई है।
आर्टिकल 370 को धीरे-धीरे काफी हद तक तो पहले ही निष्क्रिय किया जा चूका था लेकिन अब भारत सरकार ने अब इसे पूरी तरह ही निष्किय कर दिया है और वो भी अलोकतांत्रिक ढंग से। इसे लोकतांत्रिक तरीके से भी हटाया जा सकता था, हो सकता था इसमें वक़्त लगता लेकिन कश्मीर को अभी की तरह 2 महीने तक कर्फ्यु में नहीं रखना पड़ता और अगर हम कश्मीर के साथ कश्मीरियों को भी अपनाये तो कश्मीर में भी शांति लायी जा सकती है जो कभी भी बन्दूक की दम पर नहीं लायी जा सकती। अगर आप लोगो को जबरदस्ती उनके परिवार से नहीं मिलने देंगे तो लोग आप पर क्यों विश्वास करेंगे। 2 महीने से भी ज्यादा समय हो गया लेकिन कश्मीर में अभी तक सभी प्रकार की कनेक्टिविटी (मोबाइल फ़ोन, इंटरनेट सेवा) बंद है। वैसे तो भारत सरकार बार-बार कहे जा रही है कि कश्मीर में हालात सामान्य है लेकिन अगर सब कुछ सामान्य है तो फिर ऐसी क्या जरुरत पड़ गई की 2 महीने से ज्यादा समय होने के बाद भी अभी तक वहाँ पाबंदिया लगी हुई है।
स्रोत:-
- http://jklaw.nic.in/the_constitution_of_jammu_and_kashmir_1956.pdf
- https://www.business-standard.com/about/what-is-article-370
- https://www.theindiaforum.in/article/article-370-federalism-and-basic-structure-constitution
- https://thewire.in/government/jammu-kashmir-constitution-special-powers-10-states
- https://economictimes.indiatimes.com/news/defence/191-kashmiri-youths-joined-militancy-in-2018-official/articleshow/67835737.cms?from=mdr
- https://www.hindustantimes.com/india-news/the-anatomy-of-kashmir-militancy-in-numbers/story-UncrzPTGhN22Uf1HHe64JJ.html
- https://www.thehindu.com/data/where-does-jammu-and-kashmir-stand-in-comparison-to-other-states-in-key-indicators-of-growth-and-development/article28855512.ece
- https://www.indiatoday.in/education-today/gk-current-affairs/story/pakistan-occupied-kashmir-pok-history-facts-1580398-2019-08-13
- https://en.wikipedia.org/wiki/Amendment_of_the_Constitution_of_India
- https://indianexpress.com/article/explained/how-governors-rule-and-presidents-rule-set-jk-apart-from-other-states-satya-pal-malik-5492730/
- https://www.indiatoday.in/education-today/gk-current-affairs/story/presidents-rule-305727-2016-01-27
- https://thewire.in/rights/iitians-write-to-centre-against-brutalisation-of-kashmiris
- https://www.firstpost.com/india/kashmir-two-months-after-article-370-abrogation-sensitivity-towards-kashmiris-delivering-on-development-promise-key-agenda-for-centre-7458281.html